~ यूंही नहीं खूबसूरत है ये शाम इतनी ~

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यूंही नहीं खूबसूरत है ये शाम इतनी,
कोई सूरज जलता है हर वक़्त इसके लिए।
यूहीं नहीं हासिल हैं ये बेफिकरिया हमको,
कोई सरहद पे लड़ता है हर वक़्त इसके लिए ।
दूर से देखो तो सफ़र आसान लगता है,
कोई एड़ियां घिसता है हर वक़्त इसके लिए ।
जिस ऐशो – आराम पे लानत देते नहीं थकते तुम,
कोई सपने देखता है हर वक़्त इसके लिए ।
यूंही नहीं खूबसूरत है ये शाम इतनी,
कोई सूरज जलता है हर वक़्त इसके लिए।
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